मानसून की पहली बारिश रांची को भिगो रही है । अनायास ही मुझे १०-१५ साल पुरानी रांची याद आ गयी जब हर दिन तपती गर्मी के बाद बारिश तापमान को कम कर दिया करती थी।स्कूल से घर लौटते हुए बारिश में भीगना मेरे विचारो में आज भी स्पंदन पैदा कर देती है। धरती और आकाश के बीच वात्सल्य के दृष्य हमारे मन को शांति पहुंचाते है। जैसे धरती बारिश की फुहार पाकर आह्लादित हो जाती है,वैसे ही हम इस विहंगम दृष्य को देखकर आनंद -पाष में बांध जाते है।
लगता है रांची की खोई फिजा लौट आई है। रांची के झारखण्ड की राजधानी बनाने के बाद हम इस बारिश रूपी श्रृंगार को भूल ही गए थे। पर समय ने करवट बदला और वर्ष २०११ का मानसून हमें हमारी खुशी लौटाते दिख रहा है। यह अमृतवर्षा धरतीमाता को तृप्त करने की चेष्टा कर रही है। अगर रांची की धरती तृप्त हुई तो जनमानस भी अवश्य संतुष्ट होगा। नदियाँ किलकारी मार बहेंगी, कूएँ और नलकूप लबालब भरकर खुशी का इज़हार करेंगे। पेयजल संकट दूर हो जायेगा । यह मानसून ब्रेक हमें कई सपने दिखा रहा है ,आशा है हमारे इन्द्रधनुषी सपने अवश्य पुरे होंगे। प्रकृति हमारे साथ न्याय करेगी।
यह आत्ममंथन आप सभी के साथ बांटने के पीछे मेरी यही परिकल्पना थी की आप मानसून से हमारे माधुर्य- मिलन के मर्म को मेरे मन के आयने से देखें । आप यूँ कह सकते है दृष्य वही है सिर्फ चश्मा बदल गया है। आशा करता हूँ ये मानसूनी वर्षा मेरे मन के साथ-साथ अप सबों को अपने प्रेम से सराबोर करेगी ।
अपने उद्गारो को आप तक पहुचने का यह "सार्थक प्रयत्न " आपको कैसा लगा, यह फीडबैक अपने विचारो एवं कमेंट्स से देने की कृपा करे ।
its nice.........
ReplyDeletenice thougt..
thanks bhai for your feedback
ReplyDelete