Thursday, July 30, 2015

अलविदा कलाम !

२७ जुलाई की शाम एक महापुरुष,एक दूरदर्शी हमें छोड़ के  हमेशा के लिए  चला गया। पूरा भारत अचम्भे में है ,क्या सच में हमारे कलाम हमें अकेला छोड़ के चले गये. एक ऐसा विचारक चला गया जिसने अंतिम वक़्त तक अपने मिशन को छोड़ा नही,वक्तव्य देते देते सांस ने भले साथ छोड़ दिया पर हमारे कलाम वही अडिग थे.अब यादें शेष हैं,पर कलाम हमारे दिल में  बसते हैं. नीजी तौर पर कभी उनसे मुखातिब होने का मौका नहीं मिला पर उनके आलेखों और वक्तव्यों से हमेशा प्रेरणा मिलती रही.उन्होंने एक सामान्य मनुष्य  को भी असाधारण बनने का रास्ता दिखाया।एक साधारण परिवार में जन्मे ,पर भारतीय विज्ञानं प्रोध्योगिकी को एक नए आयाम पर पहुंचाया। आधुनिक भारत की प्रतिरक्षा प्रणाली उनकी सदैव आभारी रहेगी। जितने भी परमाणु आधारित मिसाइल बने उसमे उनका सर्वाधिक योगदान रहा। अपने सरल व्यक्तित्व के कारन एक युथ आइकॉन के रूप में जाने जाते रहे और भारतीय गणतंत्र के सर्वोच्च पद को ११ वें राष्ट्रपति के रूप में सुशोभित किया। उनके परिचय को कलमबद्ध करना सूरज को आईना दिखाने के बराबर  है. जो खुद तेजस्वी व्यक्तित्व का धनी हो उसके बारे में लिखना मेरे जैसे तुच्छ लेखकों के औकात में नहीं। पर न लिखूं ,ये भी दिल गवाही नहीं  देता।  जिसे देख  कर शोध के क्षेत्र को चुना ,उसी प्रेरणा के अविरल स्रोत के प्रति अपनी शाब्दिक श्रद्धांजलि देने की उत्कण्ठा मुझे यहाँ ले आई. शब्द  या विशेषण इनके व्यक्तित्व के आगे छोटी पड़  रही हैं.
अपने उत्कृष्ट कृति इण्डिया विजन २०२० में उन्होंने कब का अपने सपनो के विकसित भारत की परिकल्पना लिख डाली थी। दुर्भाग्य है ,की आधे दसक पहले हीं हो वो रुखसत हो गये. पर उनका मार्गदर्शन भारत को निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर रखेगा। कलाम साहब ने अपने एक और पुस्तक -इग्नाइटेड माइंडस में युवाओं के सोंच को झंझकोर के रख दिया। एक शिथिल  दिमाग जब एक्टिव हो जाता है तो क्या कर सकता है उसे सरलता से लिख डाला। इतना ही नहीं अपने वक्तव्यों के द्वारा  हमेशा युवाओं को प्रेरित करते रहे। एक जनप्रिय विचारक और लोकप्रिय राष्ट्रपति की रूप में ख्याति प्राप्त की. आज वो नहीं है ,भौतिक रूप से एक रिक्तता आ गयी.एक विचारक,एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व हमारे बीच न रहा। लेकिन कलाम अभी भी हमारे दिलों में जिन्दा हैं। हमारे मार्गदर्शक बनकर उनके विचार हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहेंगे। मृत्यु एक अटल सत्य है,इसे हमें स्वीकार करना ही होगा। प्रकृति का यही नियम है। पर उन्होंने वो ऊर्जा हमें  दे  डाली की की पूरा भारत वर्ष उसका अनुसरण कर एक और कलाम बन  सकता है। उनके वचनो को ,वक्तव्यों को अपने जीवन में उतार सके यही उनके प्रति  श्रद्धांजलि होगी।हो सके तो लौट के आना,अलविदा कलाम !