Thursday, May 24, 2012

तेल की मार ,पप्पुआ बीमार !

बहुत खुशी कि बात है,पप्पुआ सुधर गया . अक्ल ठिकाने आई ,मेहनत रंग लायी और आख़िरकार एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में प्रतिष्ठित पद भी मिल गयी .अब भाईसाहब का इमेज फिर से इलाके में चमक गया.आखिर गली के लाल ने कमाल ही कर दिया था.पप्पू जी अधिकारी तो बन गए पर उनका  स्टायलिश नेचर अभी भी टका-टक था .जब दबंग के सलमान कि तरह काला चश्मा पहन  ऑफिस निकलते थे ,सबके मुँह से एक मीठी आह निकल ही जाती थी.मित्रमंडली ने समझाया एक  झक्कास बाईक ले लो फिर तो तुम्हारे स्टायल -स्टेटमेंट के सामने सब ढेर हो जायेंगे.अब पप्पू के सपनो में एक खूबशूरत बाईक रोज दस्तक देने लगी.जनाब को बाईक से नया नया इश्क जो हुआ था.
अभी नौकरी लगे दो-तीन महीने हुए थे,इतनी जमा पूँजी तो नहीं थे कि बाईक अपने दरवाजे पर तुरंत बाईक ला के लगा दे. दोस्तों ने लोन पर गाड़ी लेने को उकसाया.एक हफ्ते के अंदर ही चका-चक पल्सर बाईक दरवाजे पर  आ गयी.अब तो मौज थी ,जब पप्पू जी तैयार होके पल्सर पर निकलते लड़किया इन्हें ही घूरने लगती.पप्पुआ चक्कलस करने लगा .उसकी पोजीसन भी समाज में झक्कास हो गयी. उसके बाबूजी भी बड़े शान से पप्पुआ कि शानो-शौकत कि कहानी चौक  के पान दुकान पर बड़े चाव से सुनाने लगे.
आज बाईक लिए दो महीने हो गए.पप्पू से अपने सभी दोस्तों को बाईक के दो महीने पूरे होने  के उपलक्ष्य में दावत पर बुलाया.सारी तैयारी हो चुकी है,धमाके दार संगीत के बिच भोजन चल रहा था.तभी तिन्कुआ ने टी.वी चालू कर दी. ब्रेकिंग न्यूज आयी,पेट्रोल साढ़े सात रूपये महंगा हो गया .पप्पुआ  के हलक में कबाब का टुकड़ा  अटक गया.पार्टी मातम में तब्दील हो गयी.महंगाई कि मार ने कमर तोड़ दी थी.पप्पू के आँखों से अविरल आँसुओं के धार बहने लगे.अब कैसे चलेगी बाईक, बजट फेल हो गया.दोस्त ढाढस बंधने लगे. सब ने एक स्वर में कहा,कुछ न कुछ तो रास्ता जरुर निकलेगा.
रात गयी बात गयी. सुबह मायूसी से पप्पू बाईक पोछने में लगा था.तभी टिंकु दौड़ता हुआ आया और बोला ये देख अखबार ,अब आसान किस्तों पर बैंक ने पेट्रोल लोन देने कि घोषणा कि है.अब रोने कि बात नहीं,लड्डू बटवा दो सारे  सेहर में.फिर शान से दौडेगी पल्सर पुरे शहर  में.दोनों तैयार  होके  बैंक कि ओर  दौर पड़े.लेकिन ये क्या ,वह तो पहले से ही सैकडो आदमियो की लाइन लगी थी.घंटो इंतज़ार के बाद भी उनका नम्बर नहीं आया.भूखे-प्यासे पप्पू को चक्कर  आया  और वो वही ढेर हो गया.आँख खुली तो अपने परिवार और दोस्तो से घिरा अस्पताल में पाया. बिन बोले वो मंद-मंद मुस्कुराने लगा.माँ ने पुछा  बिमार हो और मुस्कुरा रहे हो?पप्पू ने हँसते हुए जवाब दिया -महंगाई ने पेट्रोल में आग लगायी,और इसने मेरे सपनो के संसार को ही जला दिया.अब तो एक ही रास्ता है-एक मस्त सायकिल खरीद लेता हूँ,सरकार पेट्रोल का दाम बढ़ा सकती है पर टायर में भरे जाने वाली  हवा तो मुफ्त है,सरकार कि कोई चलती नहीं उस पर!तो चलो आज ही सायकिल लेले .सभी ने ठहाका लगाया,पर इस हँसी में दर्द था,महंगाई कि मार का दर्द .