Tuesday, April 21, 2020

लॉकडाउन और हम!

लॉकडाउन,ये शब्द आज हर किसी के ज़बान पर है. हर जगह इसकी चर्चा है.आम शब्दों में इस कोरोना वायरस ने हमे घर की चारदिवारी में ला खड़ा किया.एहतियातन लॉकडाउन जरूरी भी है,ताकि इस वायरस के संक्रमण को नियंत्रित किया जा सके.आज हर अखबार और टीवी चैनलों पर इसका गम्भीर विश्लेष्ण हो रहा है.मेडिकल दृष्टिकोण से लेकर समाजिक कसौटी जैसी सभी परिपाटियों में इसे तौला जा रहा है.आज कोई विषय इस नव-कोरोना वायरस से महत्वपूर्ण नहीं.गम्भीरता ऐसी की आज सारा जनमानस भयाक्रांत है ,लेकिन एक सकारात्मक पक्ष ये भी है भारत ने जो कदम उठायें उसकी सर्वस्व सराहना हो रही है.इस बीमारी का एक ही बचाव है “सोशल डिसटेंसिंग”.बोलचाल की भाषा में समाजिक दुरी बनाना.ये बिमारी छूने या संपर्क में आने से फैलती है.अगर हम सोशल डिसटेंसिंग का पालन करे तो इसके बढ़ोतरी और हस्तानान्त्रण को रोका जा सकता है.
लेकिन इस लॉकडाउन के कुछ अनछुए पहलु भी हैं.जिसका उपरोक्त विश्लेषण से कोई लेना देना ही नहीं है.आज सुबह जागा तो मोटर गाड़ी का न शोर-शराबा था न बाहरी वातावरण में कोई कोलाहल.असीम शान्ति थी,इस शान्ति के बीच चिड़ियों के चह-चहाने की मधुर आवाज़ कानो में मिश्री घोल रही थी. ये आभास वर्षों बाद मिला था. शायद आखरी बार जब अपने गाँव  गया था तो इस अनुभूति को जी पाया था. भाग-दौड़ और शहरों की गतिशीलता में मनो ये छिप सा गया था.आज लगा वातावरण में जीवन का अस्तित्व है.पक्षियों का चहचहाना तो मनो भूल ही गया था.वर्षों बाद ये अलौकिक अनुभव प्राप्त हुआ.मोटर गाड़ी का आवागमन सडकों पर कम हुआ,कल कारखानों का शोर कम हुआ.अनुभव होता है अनायास जैसे प्रदुषण का स्तर कम होने लगा है.
घर में वक्त बिताने का मौका मिल रहा है.एक दुसरे को समझने का बेहतर मौका मिला है.ये मौका संबंधों की प्रगाढ़ता को भी बढाने का एक अद्भुत मौका है . दूर होकर भी भावनात्मक  रूप से  जुड़ना ,आपसी गिले शिकवे दूर करना यही तो मौके की नजाकत है.शायद इस मशीनी युग में परिवार से दूर होने लगे थे.पर इस लॉकडाउन ने हमे जुड़ने का मौका दिया. जो दूर हैं उन्हें परिवार के महत्व को समझने का एक अवसर मिल रहा है.
समय अगर आपके पास है तो आपके क्रिएटिविटी को भी निखारने का एक सुनहरा मौका है.चाहे वो लेखन हो,गायन हो या पाक कला ,आप इस मिल रहे वक़्त का बखूबी उपयोग कर सकते हैं. अपने अंदर छिपे कलाकार को बाहर निकालिए.ऐसा करने से वक्त भी कट जाएगा और समय का सदुपयोग भी होगा.
        
ऐसे सभी कार्य जो घर में बैठ के किये जा सकते है उनको निपटाते चलें. समय का सदुपयोग जरुरी है.मिले समय को जाया न करें.जब जरुरी हो तो ही घर से निकले और सामाजिक दुरी का कठोरता से पालन करें.
सरल भाषा में अपने विचारों को रखने का छोटा सा प्रयास है.वक्त मिला तो आगे भी इस विषय पर लिखने का प्रयास करूंगा.