Tuesday, July 5, 2011

अल्लाह बचाए मेरी जान....

सुबह की सूरज पहली किरण से मेरी आँख खुली बहुत खुशनुमा मौसम था ,सोचा एक प्यारी नींद मार ही लेता हूँ मै नींदिया रानी के हाथ पकड़कर ख्वाबो के आगोश में पहुचने वाला ही था अचानक ही मेरे कानो में गूंजा -"अल्लाह बचाए मेरी जान.........",और सब कुछ चौपट ! ख्वाबो के दुनिया से सीधे बिस्तर पर गिर पड़ा। कानफाडू पॉप संगीत बाजू के शर्मा जी के यहाँ से रही थी। गाने के बोल मुझ पर अगर फिल्माए गए होते तो मेरे होठ से बरबस ये फुट पड़ता -"अल्लाह बचाए मेरी जान,मेरी नींदिया शोर के चक्कर में पड़ गयी" नींद तो टूट ही चुकी थी, बोझिल मन से बिस्तर छोड़ मै बालकोनी में गया। बाहर का दृश्य देखकर,मुझे याद आया आज शर्माजी के बेटी की शादी है। सुबह से ही नाच-गाना मौज मस्ती शुरू अब तो सारे दिन लगता है कानफाडू संगीत पुरे मोहल्ले का बैंड बजाने वाली है। मैंने अपना कलेजा मज़बूत कर लिया की अब अल्लाह ही मेरी जान बचा सकते है।
मैंने चाय के एक घूँट के साथ अख़बार पर नज़र डाली। जोर का झटका धीरे से लगा ,हेडलाइन थी - "जेबे ढीले करने के लिए हो जाये तैयार" हाय रे कमर तोड़ महंगाई ,जीना हराम हो गया है। पेट्रोल,डीजल ,रसोई गैस सब कुछ महंगे हो गए। अब घर का बजट गड़बड़ाएगा और गृहलक्ष्मी भी झल्लाएगी। मै आने वाले समय के दृश्य को सोचने में व्यस्त था ,तभी फिर मेरे कानो में गुंजा -"अल्लाह बचाए मेरी जान........" मै फिर जागा और उपरवाले को आवाज़ लगायी -"बचाले प्रभु"।तभी पत्नी की आवाज़ आई - "किससे बचने की गुहार लगा रहे हो" मै विनम्रता से बोला -"आप से बचाने वाला तो एक अल्लाह मियां ही है,और किसकी मजाल हो सकती है। वो मुस्करा दी,मैंने सोचा इस बार तो बच गया ,अगली बार कौन बचाएगा !

दफ्तर में जाते ही बॉस की बुलाहट आई। सहमते हुए दरवाज़े पे दस्तक दी, अन्दर से बॉस की कड़कती हुई आवाज़ आई-"आजाईये ......इतने फाइल पेंडिंग पड़े है....इन्हें कब निबटाकर दोगे....जिला प्रसाशन ने नाक में दम कर रखा है.....तुम से संभालता हा तो ठीक वरना नया ठिकाना ढूंढ़ लो" मैंने सहमते हुए कहा "जी सर हो जायेगा" घबराये कदमो से बाहर निकल ,टेंसन को दूर करने के लिए ताज़ी हवा खा रहा था,तभी फिर एक गुजरती हुई कार के स्टीरियो से आवाज़ आई-"अल्लाह बचाए मेरी जान...." मेरे होठों पर एक मुस्कान खिल उठी..."जब खुदा मेहरबान तो गधा पहलवान "

शाम को घर पहुचकर जैसे ही जुटे उतारे , जीवन संगिनी जी की फरमाईश आई-"शर्माजी की बेटी की शादी है....कोई महंगी गिफ्ट खरीद लाओ...आखिर समाज में अपनी प्रतिष्ठा का सवाल है मैंने प्रेम से कहा -"पांच सौ में हो जायेगा " वो गुस्से से बिफर उठी- इतना तो हमारे सोसायटी का वाचमैन दे रहा है। मैंने अल्लाह मियां को याद करते हुए अपने पर्स को उनके हाथों में सौंप दिया। रात में शादी की पार्टी में पहुंचा, खूब चक्कलस किया। दबा के खाया , ताकि इतना महंगा गिफ्ट के एवाज़ में कुछ तो वसूली हो जाये। खाना लज़ीज़ था,पता ही चला कितना खा लिया। जब देखा सब हमें ही घुर रहे है तो शरमा कर प्लेट रख दिया गुनगुनाते हुए घर पहुंचे, दोनों पति-पत्नी के चेहरे पर संतोष के भाव थे। सोचा अच्छी नींद आयेगी , सुबह की कसर पूरी कर लेंगे पर मसालेदार भोजन ने अपना कमाल दिखाया,एसिडिटी को आमंत्रण देकर। करवट बदल-बदल कर मैंने कोशिश की पर अब देर हो चुकी थी पेट दर्द से फटा जा रहा था। दावा खाकर बालकोनी में टहलने आया,सहसा मेरे कानो में शर्मा जी के पार्टी में बज रहे डी.जे संगीत के बोल सुनाई पड़े- "अल्लाह बचाए मेरी जान की रजिया गुंडों में फंस गयी....." मै मन ही मन मुस्कुराया और अपने आप से बोला-"दिन भर की भेडचाल में हम कितने बार फसते है और चिलात्ते है ...अल्लाह बचाए मेरी जान......पर बेचारा एक उपरवाला करोडो जनता में किस-किस को बचाते फिरेंगे। पर जिंदगी एक सफ़र की तरह है चलती ही जाएगी। हम रोज़ बाधाओं में फसेंगे और उपरवाले को याद करेंगे। पर कुछ भी हो,अंग्रेजी में कहावत है - "दी शो मस्ट गो ओंन " सो चलना ही ज़िन्दगी है चलती ही जा रही है.....


आज का मेरा "सार्थक प्रयत्न " आम जिंदगी के बाधा और परेशानियो की एक झलक आपके सामने रखने कीमेरे प्रयास पर अपनी टिपण्णी अवश्य दें

1 comment:

  1. Chalti ka naam gaadi or usi tarah......... zindagi ka naam zindaadili hota hain.......toh chaahe Allah apko bachane aaye ke naa aaye....aapko roz apni life jini hi padti hain....chahe positive ho ya negative......

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